INDICATORS ON URDU KAHANIYAN YOU SHOULD KNOW

Indicators on urdu kahaniyan You Should Know

Indicators on urdu kahaniyan You Should Know

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Animated fables for kids introduce younger viewers to ethical lessons by allegorical tales. These stories attribute talking animals and relatable scenarios, supplying worthwhile insights into ethics and decision-earning. Parents value the moral steering though little ones benefit from the participating narratives.

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भालू ने कहा, जंगल का शेर शिकार पर निकला है – वे खुद को उससे बचाने के लिए भाग रहे हैं। ऐसे में हाथी शेर के पास गया और कहा कि कृपया इन निर्दोष लोगों को चोट न पहुंचाओ। कृपया उन्हें अकेला छोड़ दें।

These animations inspire Lively participation from small children, fostering their cognitive improvement and critical pondering techniques. They're a wonderful choice for fogeys trying to get both of those amusement and educational price.

‘क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?’ बिरजू की माँ शकरकंद उबाल कर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी अपने आँगन में। सात साल का लड़का बिरजू शकरकंद के बदले तमाचे खा कर आँगन में लोट-पोट कर सारी देह में मिट्टी मल रहा था। चंपिया के सिर भी चुड़ैल मँडरा फणीश्वरनाथ रेणु

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वह इस समय दूसरे कमरे में बेहोश पड़ा है। आज मैंने उसकी शराब में कोई चीज़ मिला दी थी कि ख़ाली शराब वह शरबत की तरह गट-गट पी जाता है और उस पर कोई ख़ास असर नहीं होता। आँखों में लाल ढोरे-से झूलने लगते हैं, माथे fairy tales की शिकनें पसीने में भीगकर दमक उठती हैं, होंठों कृष्ण बलदेव वैद

पिंकी बहुत प्यारी लड़की है। पिंकी कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखी। उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई, जो कुछ दिन पहले पापा-मम्मी के साथ की थी। पिंकी ने चौक उठाई और फिर क्या था, दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया , दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। जब चौक खत्म हो गया पिंकी उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ – रेलगाड़ी दिल्ली गई , मुंबई गई , अमेरिका गई , नानी के घर गई , और दादाजी के घर भी गई।

वह गाय इतनी प्यारी थी, मोती को देखकर बहुत खुश हो जाती ।

दोनों भाई खेलने लगे, इसको देकर उसकी मां बहुत खुश हुई।

मदन बेहद गरीब था, घर में बुजुर्ग मां-बाप, पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे थे। उनका भरण-पोषण मदन के कार्य से ही चलता था। मदन दिनभर जंगलों में घूमता लकड़ियां जमा करता और शाम तक बाजार में बेचकर खाने-पीने का सामान घर ले आता। इसी से पूरा घर दो वक्त की रोटी खा पाता था।

ऐसा करते करते चुनमुन के बच्चे आसमान में उड़ने लगे थे।

सिंहराज जब शिकार पर निकलता , सूरसिंह अकेला हो जाता।

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